अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रीपेंटिनव ड्रग की वर्षा बैठक मे (21 फरवरी 2004)एक खोज पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया- जिन भ्रांतियों के के कारण कम कार्बोहाइड्रेट को शामिल किया जाता है, मनोभ्रंश की संज्ञा ही दी जा सकती है | इस पत्र को कनेक्टिकट के एल प्रीपेंटिनव मेडिसिन रिसर्च सेंटर के खोज डेविड एल काज़ एम.डी. एम.पी.एच. प्रस्तुत किया था| इस शोध पत्र को 'मेडस्केप मेडिकल न्यूज़ रिपोर्ट 2004' में प्रकाशित किया गया था|
कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना अनावश्यक है |
इस खोज पत्र में बताया गया है कि जो आहार ऊर्जा के असंतुलन को दूर नहीं करता है, उदाहरण के तौर पर खपत की गई कैलोरी की तुलना में कई गुना अधिक कैलोरी ग्रहण करना, ऐसे आहार को आदर्श नहीं माना जाता है जा सकता है| पत्र में बताया गया है कि खाद्य पदार्थ उद्योग कम कार्बोहाइड्रेट के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को भुनाने के लिए कम कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं| ऐसे पदार्थों में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है|खोज पत्र में यह भी चेताया गया है कि कम वसा का दावा करने वाले उत्पाद भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं|कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार की वकालत करने वाले आहार का चुनाव करने के लिए जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स का उपयोग करने की सलाह देते हैं, उस पर अमल करने से विरोधाभासपूर्ण नतीजे सामने आ सकते हैं उदाहरण के तौर पर, आइसक्रीम का लाइसपिक इंडेक्स गाजर की तुलना में कम होता है|
इस तरह कम कार्बोहाइड्रेट अधिक fat आहार और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के माध्यम से वजन का दावा किया जाता है; जबकि fat होने के कारण ऐसे पदार्थ में में 60% से अधिक कैलोरी पाई जाती है इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थों में फैट के किसी वर्गीकरण का उल्लेख नहीं होता|
इस तरह के आहार को विज्ञापनों के माध्यम से वजन घटाने के उपाय के रूप में प्रचारित किया जा रहा है | सुरक्षा की दृष्टि से इस तरह के आहार संदिग्ध बने हुए हैं और इसकी प्रामाणिकता के पक्ष में विज्ञान- सम्मत प्रमाणिक नागाण्य है| इस तरह के आहार से संबंधित उन तथ्यों के तथ्य से स्पष्ट होता है कि शुरुआत में अगर कुछ वजन घटता हुआ नजर आता है तो वह कम कार्बोहाइड्रेट की वजह से नहीं, बल्कि कम कैलोरी के सेवन के कारण संभव हो पाता है | वजन में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जाती है, चंकी ऐसे आहार में सामान्य रूप से कैलोरी, विटामिन और प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है इस तरह आपको अधिक दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ता है। आपके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में तेजी से चरबी एकत्र होने लगती है इतना ही नहीं ऐसे और असामान्य कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार के कारण केटोसिस की प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं, जो गुर्दों को नुकसान पहुंचा सकता है|
इस तरह का तेजी से वजन का दावा करने वाला कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार अधिक अधिक फैट और प्रोटीन के कारण वजन घटाने की जगह वजन बढ़ाने का ही कारण बन जाता है। शुरू शुरू में उर्जा निर्माण के लिए फैट और प्रोटीन की खपत होती है और शरीर का वजन घटता हुआ महसूस होता है| इसके बाद शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी हो जाती है, क्योंकि आहार के साथ कार्बोहाइड्रेट कम का सेवन किया जाता है| शरीर पहले से मौजूद कार्बोहाइड्रेट का उपयोग ईंधन के रूप में करना शुरू करता है इस तरह के आहार के कारण व्यक्ति ह्रदय रोग सहित अन्य कई रोगों का शिकार हो सकता है |