Suryanamaskar Yoga: सूर्यनमस्कार योग के बारे मे पुरी जानकारी

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य और शक्ति के लिए व्यायाम करें| सूर्य नमस्कार एक सर्वांगीण और शारीरिक और आध्यात्मिक विकास का शास्त्रीय रूप है यह शक्ति और दीर्घायु प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट तरीका है इसे सूर्योपासना या बल पूजा कहते हैं इसमें अलग-अलग तरीके होते हैं यह हर पुरुष, महिला बच्चे, युवा वयस्क व्यक्ति को किसी कोई भी धर्म या जाति का हो, उनके लिए वरदान है|   

     

सूर्यनमस्कार योग: सूर्यनमस्कार योग के बारे में पूरी जानकारी।


हर एक सूर्य नमस्कार के चरण में 12 आसन के दो क्रम होते हैं। 12 योग आसन सूर्य नमस्कार का एक क्रम पूर्ण करते हैं। सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वो ही क्रम दुबारा दोहराना होता है। सूर्य नमस्कार के विशाल के रूप पाए जाते हैं, हालाँकि सबसे अच्छा यही है कि किसी एक ही प्रारूप का चेज़ करें और उसी के नियमित रूप से अभ्यास करें|

अच्छे जीवन स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए हमें सूर्य के प्रति आनंद प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले अच्छे दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आनंद और कृपा का अंश भरना शुरू करें। चलिये जाने सूर्यनमस्कार योग के बारे में पूरी जानकारी |


सूर्यनमस्कार के प्राथमिक निदेशक : मे स्थान, समय और पोशाख का समावेश होता है


* स्थान: आम तौर पर 8×3 स्थान पर्याप्त होता है जमीं मंजिल या जो भी जगह हो लेकिन दैनिक अध्ययन के लिए स्थान का चुनाव करने के आसन के रूप में कंबल और  mat ले सकते हैं, बिना आसन के क्रिया न करें|

*समय: सूर्योदय का समय आ सकता है तो उत्तम है क्योंकि इस समय सूर्य किरणें जो शुभ है, उज्वल है| नहाने के बाद आसन करना हमेशा उचित होता है|

* पोशाख: योगासन करने के लिए आरामदायक कपड़े पहने| महिलाओं के लिए कॉटन की टी-शर्ट और टॉप लेगीज आप पहन सकती हैं| और पुरुष कॉटन टीशर्ट  ट्रैक्स और पायजामा यूज कर सकते हैं वैसे करने में आराम महसूस होता है|

सूर्यनमस्कार के प्रकार: 


1 नमनमुद्रा योग:इसमें सूरज की तेज लहर की ओर देखकर  सूरज को प्रणाम करें | मुझे शक्ति और आशीर्वाद दे| ऐसे सूरज को बड़े चेतन से कहें और प्रणाम करें |

2 ऊर्ध्व नमस्कारासन:   एक साथ सूर्य की ओर देखकर सीधा खड़े होना चाहिए| दोनों हाथों को छाती के बीच में जोड़कर प्रार्थना करें। दोनों कानो को जुर्माने से छूना चाहिए| हाथ के साथ-साथ ऊपर की ओर सूर्य की और देखें|

3 जानू शीर्षासन: दोनों भुजाओं को आगे की ओर झुकते हुए धीमी गति से सांस छोड़ते (रेचक) के साथ  जानू शीर्षासन दोनों पैरों के अगल बगल में अपने सिर को घुटनों पर रखने की कोशिश करें। अपनी हथेलियों को फर्श पर रखें ,लेकिन अपने पैरों को घुटनों पर ना मोड़ें बल्कि सीधे रखिए| 

4 एक पाद प्रसारण: पूरक सांस लेकर और पहले बाया पैर पीछे ले जाएं |बाया घुटना जमीं पर झुके और सामने देखें|

5 द्विपाद प्रसारण:   डायना पैर  पीछे ले जाना चाहिए और बाएं   पैर के समांतर होना चाहिए|   दोनों घुटने जमीन से ऊपर एक छड़ी की तरह सपाट होना चाहिए| दोनों हाथों से शरीर को ऊपर उठा कर  रेचक लेना चाहिए और फिर से  पूरक करना चाहिए|

6 अष्टांग नमस्कार: शरीर को सीधा होना चाहिए और शरीर के आठ अंगों को छूना चाहिए, इसके लिए उनके  दोनों हाथ, पैर, माथा, छाती और दोनों घुटनों को मोड़कर जमीन को छूना चाहिए| कुछ देर प्रतीक्षा करने के लिए रेचक करना|इस समय पेट के नीचे का भाग को  ऊपर उठाकर पेट के ऊपर आना है|


7 भुजंगासन: दोनों हाथों से फर्श पर दबाव डालकर छाती को फैलाते हुए छाती गर्दन और  सिर को सांप की तरह ऊपर उठाएं|   दृष्टि सामने  रखें इस समय दोनों घुटने जमीन पर नहीं झुकना चाहिए लेकिन अगर वे मुड़े हुए हैं तो कोई समस्या नहीं है|थोड़ी देर तक के लिए अपनी सांस रोके|   

8 पर्वतासन: अपने घुटने पर और हाथों के बल आगे बढ़ें जैसे कि घोड़े की मुद्रा में हो हाथ सीधा सीधा होता है पर आप श्वास लेते हुए सिर को छाती की तरफ देखते हुए और ऊपरी कमर को बाहर की तरफ गोल करें।

9 एक पैर का आकर्षण: कुछ देर सास को रोके, रखने के बाद पीछे जाने वाले पैर को फिर से आगे की ओर लाना चाहिए और उसी पैर को दोनों हाथों के बीच रखना चाहिए|

10 द्विपाद आकर्षण: ठीक दूसरा सीधा पैर आगे ले जाएं, बाएं पैर से जोड़ें और सिर के घुटने पर मलाशय रखें|

11 ऊर्ध्वनमस्कार : इस स्थिति में श्वास भरते हुए, दोनों हाथो को ऊपर की ओर ले जाएं और पीछे की ओर यथाशक्ति झुकें।

12 नमन मुद्रा: इस स्थिति में श्वास लेने वाले दोनों हाथों को प्रणाम की स्थिति में वापस जाएं।

सूर्यनमस्कार का लाभ



*मासपेशिया और जोडों को मजबूत करने में मदद करता है|

* यह मासिक धर्म चक्र नियमित रूप से करने में मदद करता है त्वचा की चमक झड़ जाती है और इससे त्वचा की चमक दिखने लगती है।


* आपके रक्त शर्करा की मात्रा को कम करता है और कंट्रोल करता है|

* पूरे शरीर का वजन कम करें|पाचन तंत्र में बदलाव लाता है|


*रक्त परिसंचरण में सुधार होता है|


* आपके शरीर को टोन करता है, और लचीला बनाता है|

विशेष ध्यान रखें |




सूर्य नमस्कार सुबह के समय खाली पेट करें और सूर्य नमस्कार करने से पहले सूक्ष्म क्रियाये और यौगिक क्रियायों का अभ्यास कम से कम आधा घंटा तक करें। उसके बाद ही सूर्य नमस्कार के आसनों को करें। सूर्य नमस्कार में श्वास-प्रश्वास का संतुलन महत्वपूर्ण है|


ध्यान रखने के साथ ही जिन लोगों को स्लिप डिस्क होती है, सर्वाइकल, माथे का दर्द, पीठ दर्द और गठिया से पीड़ित होने पर परेशानी होती है वो लोग और प्रेग्नेंट महिला ये आसन न करें। आसन करते हुए शरीर पर ज्यादा जोर न दें। सहजता आसन करें |


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